शुक्रवार, अक्तूबर 10, 2014

करवा चौथ का चाँद-------

चाँद तो मैंने
उसी दिन रख दिया था
हथेली पर तुम्हारे
जिस दिन
मेरे आवारापन को
स्वीकारा था तुमने--

सूरज से चमकते गालों पर
पपड़ाए होंठों पर
रख दिये थे मैंने
कई कई चाँद----


चाँद तो
उसी दिन रख दिया था
हथेली पर तुम्हारे
जिस दिन
तमाम विरोधों के बावजूद
ओढ़ ली थी तुमने
उधारी में खरीदी
मेरे अस्तित्व की चुन्नी--


और अब
क्यों देखती हो
प्रेम के आँगन में
खड़ी होकर
आटे की चलनी से
चाँद----


तुम्हारी तो मुट्ठी में कैद है
तुम्हारा अपना चाँद----


"ज्योति खरे" 

चित्र - गूगल से साभार

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