शनिवार, मार्च 30, 2013

गम अगरबत्ती की तरह देर तक जल करते हैं---------

                                              
                           दर्द में लिपटी एक पाकीज़ा की शायरी
                                              
                          मीना कुमारी की पुन्य तिथि पर 
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                       ये मेरे हमनशी चल कहीं और चल 
                       इस चमन में तो अपना गुजारा नहीं 
                       बात होती गुलों तक तो सह लेते हम 
                       अब काँटों पर भी हक़ हमारा नहीं
३१मार्च इसी दिन महान अभिनेत्री मीना कुमारी फ़िल्मी दुनियां को सूना कर इस संसार से विदा हो गयी,और अपने चाहने वालों के लिये एक सदमा छोड़ गयी,आज भी वह सदमा उनके चाहने वालों के दिल पर ज्यों का त्यों बना हुआ है।
                       चाँद तन्हां है,आसमां तन्हां 
                       दिल मिला है,कहाँ कहाँ तन्हां 
                       रात देखा करेगा सदियों तक 
                       छोड़ जायेंगे यह जहां तन्हां 
भारतीय फिल्मों में मीना कुमारी को उच्च कोटि का अभिनेत्री माना जाता था,क्योंकि वह ऐसा सागर था जिसकी थाह पाना मुस्किल था, बाहर से शांत पर भीतर से गंभीर,उनके मन में कितने तूफान उमडते यह कोई नहीं जानता था,बस सब इतना जानते थे कि मीना कुमारी वास्तविक प्रेम को सदैव महत्व दिया करती थीं।लेकिन प्रेम मार्ग में जो उन्हें ठोकरें मिली वही दर्द उनके अभिनय में दुखांत बनकर आया था,इसको भोगते हुये अभिनय करना, मीना कुमारी को दुखांत भूमिकाओं की रानी बना गया जिसके जीवन में दर्द,तड़प,और आंसुओं के सिवा कुछ भी न था।
                   मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है  
                   ना जाने कौन सी उम्मीद पर दिल ठहरा है 
                   तेरी आँखों से छलकते हुये इस गम की कसम 
                   ये दोस्त दर्द का रिश्ता बहुत गहरा है 
मीना कुमारी का जन्म १अगस्त १९३२ में हुआ था,इनकी माँ इकबाल बेगम अपने जमाने की प्रसिद्ध अदाकारा थी,मीना कुमारी पर अपनी माँ का प्रभाव पड़ा और इनका झुकाव अभिनय की तरफ बढ़ा,उन दिनों वे गरीबी के दिन से गुजर रहीं थी,उस वक़्त उनकी उम्र करीब आठ साल की रही होगी,गन्दी सी बस्ती में रहने वाली बालिका पर एक दिन स्वर्गीय मोतीलाल की निगाह पड़ी और मीना जी का भाग्य वहीँ से चमकना शुरू हो गया,सर्वप्रथम मीना कुमारी ने "बच्चों का खेल" फिल्म में भूमिका निबाही।
कुछ दिनों तक बाल अभिनेत्री के रूप में अभिनय करने के बाद मीना जी को फिल्मों से किनारा करना पड़ा,कुछ सालों बाद वाडिया ब्रदर्स ने उन्हें फिल्मों में पुनः स्थापित किया,फिर तो मीना जी निरंतर फिल्मो में काम करती रहीं। 
                    जिन्दगी आँख से टपका हुआ बे रंग कतरा 
                    तेरे दामन की पनाह पाता तो आंसू होता 
मीना कुमारी जिनका नाम "महजबी"था दुखांत भूमिकाओं की रानी बन गयी,उनके पास दौलत,शौहरत थी मगर प्रेम,प्यार नहीं था कमाल अमरोही से विवाह कर किया लेकिन बाद में अलग होना पड़ा,प्रेम की चाह अंत तक उनके जेहन में बसी रही और उन्हें रुलाती रही।
                   पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है 
                   रात खैरात की सदके की सहर होती है 
                   जैसे जागी हुई आँखों में चुभे कांच के ख्वाब 
                   रात इस तरह दीवानों की बसर होती है 
भोली सूरत,प्यारी आँखें और मासूम सा चेहरा,गुलाबी होंठ---सचमुच मीना जी समुद्र में पड़ते चंद्रमा के प्रतिबिम्ब के समान थीं उनके मन में,प्यार था,सत्कार था,पर उनकी वास्तविक भावनाओं को कोई नहीं समझ पाया,उनकी आँखों से ही ह्रदय की सारी अभिव्यक्ति झलक उठती थी।
                    बॊझ लम्हों का लिये कंधे टूटे जाते हैं                          
                    बीमार रूह का यह भार तुम कहीं रख दो 
                    सदियां गुजरी हैं कि यह दर्द पपोटे झुके
                    तपते माथे पर जरा गर्म हथेली रख दो 
गम की  राह से गुजरी मीना जी वास्तव में एक हीरा थीं, वे प्यार जुटाना चाहती थी, प्यार पाना चाहती थी, प्यार बांटना चाहती थीं,इसी प्यार की प्यास ने उन्हे अंत तक भटकाया।
                      यूँ तेरी राहगुजर से दीवाना बार गुजरे 
                      कांधे पे अपने रख के अपना मजार गुजरे 
                      मेरी तरह सम्हाले कोई तो दर्द जानूं
                      एक बार दिल से होकर परवर दिगार गुजरे 
                      अच्छे लगे हैं दिल को तेरे जिले भी लेकिन 
                       तू दिल को हार गुजरा हम जान हार गुजरे 
दर्द की दुनियां में जीने वाली मीना जी आखिर यह संसार छोड़ गयीं,लेकिन अपनी शायरी में अपना दर्द बयां कर गयीं, एक बेहतरीन अदाकारा,एक बेहतरीन शायरा अपने चाहने वालों को अपना प्यार,दर्द और कुछ नगमें दे गयीं,ऐसा लगता है मीना जी आज भी तन्हाई में रह रहीं हैं और अपने चाहने वालों को कह कह रहीं हैं----
                        तू जो आ जाये तो इन जलती हुई आँखों को 
                        तेरे होंठों के तले ढेर सा आराम मिले                                                        तेरी  बाहों में सिमटकर तेरे सीने के तले 
                        मेरी बेख्वाब सियाह रातों को आराम मिले-------
 एक पाकीज़ा शायरा की यादें हमेशा जिन्दा रहेंगी प्यार करने वालों के दिलों में-----

"ज्योति खरे"
 
                                                                                                                                            
                                                                                                                                      
                                                                                     

28 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया सर!


सादर

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़ि‍या अदाकारा का शायरा रहीं मीना कुमारी। अच्‍छा लगा उनके बारे में ऐसे और जानना।

ऋतुपर्ण दवे ने कहा…

मीना कुमारी यक़ीनन एक शानदार अदाकारा रही हैं. दुखों के अथाह सागर को अपने दिल में समाए इस हस्ती ने रुपहले पर्दे पर सभी को प्रभावित किया है. वाकई मीना कुमारी की जीवनी को मीना कुमारी की अमर कहानी कहना ही उचित होगा. एक वरिष्ठ लेखक और कवि आदरणीय ज्योति खरे की यह पंक्तियां मीनाजी को सही श्रध्दांजलि है. बहुत ही प्रभावी और श्रेष्ठ पंक्तियों के लिए आदरणीय ज्योतिजी को बहुत - बहुत साधुवाद.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सुंदर जानकारी मिली, शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर....मीना जी को नमन

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा प्रस्तुति

recent postकाव्यान्जलि: होली की हुडदंग ( भाग -२ )

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

वाह बहुत खूब हुज़ूर | मेरी पसंदीदा अदाकारा हैं मीना जी | उनके बारे में बताने के लिए शुक्रिया | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…


कल दिनांक 01/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... बहुत ही कमाल का लेख सर जी ... मीना कुमारी की रूह को छू के लिखा हर शब्द ... लाजवाब अभिनेत्री के साथ साथ रूहानी शायरा भी थीं वो ... मज़ा आया ...

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

ऐसी आंखों की प्‍यास नहीं देखी

यूं उदास सांसें नहीं देखी

कहने को इनका शरीर नहीं रहा

पर इनकी याद सी कोई याद नहीं देखी

Akash Mishra ने कहा…

अभिनेताओं में जो दर्जा गुरुदत्त को हासिल है वही दर्जा अभिनेत्रियों में मीना कुमारी जी का है |
(ब्लॉग पर देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ)

सादर

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावमयी प्रस्तुति...

Vaanbhatt ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मूर्खता दिवस की मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-04-2013) के चर्चा मंच-1181 पर भी होगी!
सूचनार्थ ...सादर..!

Jyoti khare ने कहा…

सभी सम्मानित मित्रों का
बहुत बहुत आभार

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत सुंदर

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट।

Unknown ने कहा…

अच्छी संवेदनशील

Ranjana verma ने कहा…

मीना कुमारी हिन्दी सिनेमा की एक बेहतरीन अदाकारा थी और हमेशा रहेंगी.

बेनामी ने कहा…

bahut achcha khare ji

Deepika Dwivedi ने कहा…

बहुत शानदार .......

damayanti sharma ने कहा…

मीना कुमारी जी न केवल सर्वश्रेष्ठ अदाकारा थीं, बल्कि बेहतरीन शायरा और गायिका भी थीं। आपने अपने इस आलेख में उनके जीवन से सम्बंधित जानकारी के साथ साथ उनकी शायरी के साथ भी हमारा परिचय कराया है .... बहुत अच्छा लगा सर, शुभकामनाएँ

मन्टू कुमार ने कहा…

Sarthak prastuti...dhanywad

Sadar

Aruna Kapoor ने कहा…

...आप ने अदाकारा मीना कुमारी जैसी थी ...बिलकुल वैसी ही शब्द-चित्र द्वारा पेश की है...कोई अतिशयोक्ति नहीं है!...महान हस्ती को विनम्र शद्धांजलि!

Archana Chaoji ने कहा…

एक भावप्रवण अभिनेत्री को भुला पाना संभव नहीं ....

कविता रावत ने कहा…

मीना कुमारी की पुण्य तिथि पर बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए आभार...

Jyoti khare ने कहा…

सभी सम्मानित मित्रों का आभार
आपकी प्रतिक्रिया रचनात्मक उर्जा प्रदान करेगी

***Punam*** ने कहा…

मीना जी....
मेरी पसन्दीदा अदाकारा रही हैं हमेशा ही और आज भी हैं..एक अजीब से कशिश उनकी आँखों की...उनकी आवाज़ की बरबस की खींच लेती है किसी को भी अपनी तरफ...! अपने बचपन से उनको चाहती आई हूँ..उनकी खूबियां जानने की अक्ल बहुत बाद में आई...! बस चाहती हूँ उन्हें....ऐसे ही आज भी..!!