बुधवार, जनवरी 09, 2013

धुंधलाई यादों से बिसर गये हैं लोग--------

शराफत की ठंड से सिहर गये हैं लोग
दुश्मनी की आंच से बिखर गये हैं लोग------
 
जिनके चेहरों पर धब्बों की भरमार है
आईना देखते ही निखर गये हैं लोग--------

छुटपन का गाँव अब जिला कहलाता है
धुंधलाई यादों से बिसर गये हैं लोग--------

वो फिरौती की वजह से उम्दा बने
साजिशों के सफ़र से जिधर गये हैं लोग--------

दहशत के माहौल में दरवाजे नहीं खुलते   
अपने ही घरों से किधर गये हैं लोग---------

"ज्योति खरे"

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जिनके चेहरों पर धब्बों की भरमार है
आईना देखते ही निखर गये हैं लोग--

बहुत खूब ... लाजवाब शेर हैं सभी इस गज़ल के ...