रविवार, मई 20, 2012

फफूंद लगी रोटियां
रोटी की तलाश के बजाय
बमों की तलाश मैं जुटे हैं हम 
डरते हैं
रोटियों को
कोई हथिया न ले-----------
भूखे पेट रहकर
एक तहखाना बना रहे हैं हम
जहाँ सुरझित रख सकें रोटियां ------
डरते हैं हम
उस इन्सान से
जिसके पेट मैं भूख पल रही हे
जो अचानक युद्ध करके
झपट लेगा हमारी रोटियां -------------
हमारी सुरझित रोटियों के कारण
युद्ध होगा
मानव मरेगें
मरेंगे पशु -पक्झी
नष्ट हो जायगी धरती की हरयाली
फिर चैन से बांटकर खायेंगे रोटियां
जिनमे तब तक फफूंद लग चुकी होगी -----------------
ऐसा ही होगा जब -तब
जीवन की तलाश से
अधिक महत्वपुर्ण रहेगा
मारने के साधनों का निर्माण -------------------


1 टिप्पणी:

Jyoti khare ने कहा…

fafund lagi rotiyain